Vastu: The Art of Harmonious Living
“Love yourself and embrace the creation around you; the universe responds to your inner harmony.”
Within Vaastu walls, I reside, yet they do not confine,
No cage they form, for freedom is mine. 💮
These walls are here, yet transparent they seem,
I dwell within, but my spirit beams. ✨
Such boundless freedom, such vast expanse,
Mastery over space, time’s eternal dance.
This is the truth, where I find my way,
Living in Cosmic magnitude, day by day. 💥
In Vaastu’s embrace, I truly live,
Abundance and peace, the gifts it gives.
No walls can hold what the cosmos imparts,
For I live in Vaastu, with an open heart. 💞
“वास्तु की दीवारों में मैं रहती हूँ, लेकिन ये मुझे बांधती नहीं हैं। ये दीवारें कोई पिंजरा नहीं बनातीं, क्योंकी मेरी आज़ादी मेरे पास है मेरी प्रकृती के साथ मुझे शक्ति मिलती हैं। ये दीवारें यहाँ हैं, लेकिन ये मुझे पारदर्शी लगती हैं; मैं इनके अंदर रहती हूँ, लेकिन मेरी आत्मा रोशनी से भरी रहती है। ऐसी अनंत आज़ादी, ऐसा विशाल विस्तार, समय और स्थान पर मेरी पकड़ है। यही सच है, जहाँ मैं अपना रास्ता पाती हूँ, हर दिन ब्रह्मांडीय विस्तार में जीती हूँ। वास्तु की गोद में, मैं सच में जीती हूँ—समृद्धि और शांति, ये वास्तु के उपहार हैं। कोई दीवारें उस चीज़ को नहीं रोक सकतीं जो ब्रह्मांड मुझे देता है, क्योंकि मैं वास्तु में, और उसकी अनन्त खोज में खुले दिल से जीती हूँ।”
Vastu: The Art of Harmonious Living
“Love yourself and embrace the creation around you; the universe responds to your inner harmony.”
Within Vaastu walls, I reside, yet they do not confine,
No cage they form, for freedom is mine. 💮
These walls are here, yet transparent they seem,
I dwell within, but my spirit beams. ✨
Such boundless freedom, such vast expanse,
Mastery over space, time’s eternal dance.
This is the truth, where I find my way,
Living in Cosmic magnitude, day by day. 💥
In Vaastu’s embrace, I truly live,
Abundance and peace, the gifts it gives.
No walls can hold what the cosmos imparts,
For I live in Vaastu, with an open heart. 💞
“वास्तु की दीवारों में मैं रहती हूँ, लेकिन ये मुझे बांधती नहीं हैं। ये दीवारें कोई पिंजरा नहीं बनातीं, क्योंकी मेरी आज़ादी मेरे पास है मेरी प्रकृती के साथ मुझे शक्ति मिलती हैं। ये दीवारें यहाँ हैं, लेकिन ये मुझे पारदर्शी लगती हैं; मैं इनके अंदर रहती हूँ, लेकिन मेरी आत्मा रोशनी से भरी रहती है। ऐसी अनंत आज़ादी, ऐसा विशाल विस्तार, समय और स्थान पर मेरी पकड़ है। यही सच है, जहाँ मैं अपना रास्ता पाती हूँ, हर दिन ब्रह्मांडीय विस्तार में जीती हूँ। वास्तु की गोद में, मैं सच में जीती हूँ—समृद्धि और शांति, ये वास्तु के उपहार हैं। कोई दीवारें उस चीज़ को नहीं रोक सकतीं जो ब्रह्मांड मुझे देता है, क्योंकि मैं वास्तु में, और उसकी अनन्त खोज में खुले दिल से जीती हूँ।”